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संस्थान का परिचय एवं इतिहास

राज्य कर्मचारी साहित्य संस्थान, उ०प्र० का गठन वर्ष 1996 में उ०प्र० सचिवालय, विधान सभा सचिवालय एवं विधान परिषद सचिवालय के कर्मियों के सहयोग से हुआ, जिसका उद्देश्य था कि उत्तर प्रदेश के राज्यकर्मियों में साहित्यिक रुचि जाग्रत की जाय एवं उनको बढ़ावा दिया जाय। संस्था को औपचारिक रूप प्रदान करने के लिए श्री उमेश कुमार सिंह चौहान, भारतीय प्रशासनिक सेवा, तत्कालीन प्रबन्ध निदेशक, पर्यटन निगम के नवल किशोर रोड स्थित कार्यालय में दिनांक 23 जून, 1999 को एक बैठक आयोजित करके चुनाव कराया गया जिसमें श्री उमेश कुमार सिंह चौहान, संस्था के अध्यक्ष चुने गये। तदनन्तर अगस्त, 1999 में 'राज्य कर्मचारी साहित्य संस्थान, उ०प्र०' के नाम से संस्था का पंजीकरण (पंजीकरण संख्या-1313/99) हुआ।

संस्थान के प्रथम अध्यक्ष श्री उमेश कुमार सिंह चौहान, आई०ए०एस० तत्पश्चात श्री लव वर्मा, आई०ए०एस० एवं श्री अनीस अंसारी, आई०ए०एस०, श्री आलोक रंजन, तत्कालीन मुख्य सचिव, उ०प्र० शासन तत्पश्चात डा० हरशरण दास, प्रमुख सचिव, उ०प्र० शासन एवं डॉ० हरिओम, सचिव, उ०प्र० शासन एवं पुनः श्री आलोक रंजन, पूर्व मुख्य सचिव, उ०प्र० शासन, अध्यक्ष रहे। सम्प्रति डॉ० अखिलेश मिश्र, आई०ए०एस० विशेष सचिव, उ०प्र० शासन संस्थान के अध्यक्ष हैं एवं डॉ० हरशरण दास, से०नि० प्रमुख सचिव, उ०प्र० शासन, सह संरक्षक हैं। इन सभी यशस्वी तथा साहित्य कला/संस्कृति में गहरी रुचि रखने वाले महानुभावों के कारण संस्थान ने अब तक इतनी प्रगति की है और आशा है कि वर्तमान अध्यक्ष महोदय के मार्गदर्शन में हम नये आयाम तथा उपलब्धियों को प्राप्त करेंगे। साहित्य संस्थान का गठन प्रदेश के साहित्यिक राज्य कर्मचारियों को प्रोत्साहित

राज्य कर्मचारी करने के लिए किया गया था। संस्थान के मुख्य उद्देश्य है प्रदेश की भाषाओं/बोलियों के साहित्य विशेषतया कविता के लिए अभिरुचि उत्पन्न करना, कवि गोष्ठी, सम्मेलन, साहित्यिक विषयों पर चर्चा करना, समारोहों, कार्यशालाओं तथा प्रतियोगिताओं का आयोजन करना, साहित्य साधकों को प्रकाश में लाना एवं उनकी रचनाओं को प्रकाशन में सहयोग देना, पत्रिकाओं/पुस्तकों का प्रकाशन, श्रेष्ठ साहित्यकारों को सम्मानित करना, विभिन्न अवसरों, त्योहारों पर कार्यक्रम आयोजित करना एवं प्रदेश के अन्य जिलों में शाखायें खोलना एवं प्रदेश की संस्थाओं से सम्बद्ध होना तथा उन्हें सम्बद्ध करना आदि निर्धारित किये गये हैं। इन उद्देश्यों की पूर्ति के लिए संस्थान द्वारा उत्तर प्रदेश सचिवालय, मुख्य भवन स्थित कार्यालय में एक पुस्तकालय एवं वाचनालय की स्थापना की गयी है, जिसमें प्रतिदिन राज्यकर्मी आकर पत्र/पत्रिकायें/पुस्तकें पढ़ते एवं निर्गत कराते हैं। संस्थान द्वारा शासन के सहयोग से प्रतिवर्ष राज्यकर्मियों, साहित्यकारों, सेवानिवृत्त कर्मियों एवं हिन्दीतर भाषा-भाषी राज्यों के राज्यकर्मियों को एक-एक लाख रुपये के अधिकतम 24 पुरस्कार दिये जाते हैं। इसके अतिरिक्त संस्थान के वार्षिक समारोह में संस्थान में किए गए योगदान,अपरिहार्य पत्रिका में किए गए योगदान ,उत्कृष्ट पुस्तक एवं साहित्य में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले विभूति को साहित्य गौरव सम्मान से सम्मानित भी किया जाता है जिन्हें प्रमाण-पत्र/अंगवस्त्र के साथ रु०75,00/- की भेंट भी दी जाती है।

राज्य कर्मचारी साहित्य संस्थान द्वारा संस्थान की प्रतिष्ठित साहित्यिक पत्रिका 'अपरिहार्य का प्रकाशन वर्ष 2002 से लगातार किया जा रहा है। उक्त पत्रिका में राज्य कर्मियों एवं अन्य अच्छे साहित्यकारों की रचनाओं का प्रकाशन होता है। संस्थान द्वारा माह में एक कवि गोष्ठी का आयोजन किया जाता है तथा इसके अतिरिक्त साप्ताहिक गोष्ठियाँ भी संस्थान के कार्यालय में आयोजित की जाती हैं। संस्थान द्वारा विभिन्न विषयों पर सेमिनार आयोजित किये जाते हैं जिसमें साहित्यिक विषयों में स्थापित विद्वानों/साहित्यकारों के व्याख्यानों का आयोजन भी किया जाता है। संस्थान द्वारा कई वर्षों से प्रदेश के राज्यकर्मियों के बीच निबन्ध/लेख/काव्य प्रतियोगिता का आयोजन किया जा रहा है, जिसके विजेताओं को एक समारोह आयोजित करके पुरस्कृत किया जाता है। इसके अतिरिक्त प्रत्येक वर्ष तुलसी जयंती तथा अन्य महापुरुषों की जयन्ती आदि के समारोह भी आयोजित किये जाते हैं।

संस्थान द्वारा विभिन्न विषयों पर साहित्यिक समारोहों / कार्यशालाओं / प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाता है एवं विभिन्न श्रेष्ठ साहित्यकारों पर वृत्त-चित्र बनाए गये है। उनका प्रदर्शन भी किया जाता है। राज्य कर्मचारी साहित्य संस्थान द्वारा बनाये गये सीरियल 'साहित्य सरिता का प्रसारण डी०डी० यू०पी० द्वारा प्रत्येक शनिवार को सायं 07:30 बजे से 08:00 बजे के बीच किया जा रहा था जिसके 117 एपीसोड प्रसारित हो चुके हैं। यह सीरियल अत्यंत सफल रहा है जिसके कारण टी०आर०पी० में भी इसे स्थान मिलता रहा। वर्तमान समय में संस्थान द्वारा कई नए साहित्यिक कार्यक्रमों की भी शुरुआत की गई है जिसमें किस्सागोई,जननी कार्यक्रम, कवयित्री सम्मेलन,नाटक के साथ अन्य महत्वपूर्ण मासिक कवि सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है।

संस्थान साहित्य को नई दिशा देने के लिए ऑनलाइन कार्यक्रमों का भी शुभारंभ कर दिया है। राज्य कर्मचारी साहित्य संस्थान के महत्वपूर्ण योजना एवं कार्यक्रमों की जानकारी जन-जन तक पहुंच सके ,इसलिए संस्थान द्वारा विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के माध्यम से भी अपने कार्यक्रमों का व्यापक पहुंच सुनिश्चित कराई जा रही है।

पुरस्कार योजना

संस्थान द्वारा प्रत्येक वर्ष राज्य कार्मिकों को उनके उत्कृष्ट पुस्तक एवं दीर्घकालिक साहित्य सेवा हेतु अधिकतम 24 पुरस्कार एक ₹100000 धनराशि से संबंधित दिया जाता है।

उक्त पुरस्कार सम्बंधी विज्ञप्ति अगस्त से दिसंबर के मध्य विभिन्न समाचार पत्रों के माध्यम से आता है। और चयनित पुरस्कार से संबंधित वार्षिक पुरस्कार कार्यक्रम जनवरी माह से मार्च माह के मध्य कराया जाता है।

अपरिहार्य पत्रिका

राज्य कर्मचारी साहित्य संस्थान द्वारा त्रैमासिक पत्रिका अपरिहार्य का प्रकाशन किया जाता है। जिसमें साहित्य की विभिन्न विधाओं से संबंधित रचनाओं को प्रकाशित किया जाता है।

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सड़क सुरक्षा

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वृक्षारोपण

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महिला सशक्तिकरण

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बाल शिक्षा